Sardar Vallabhbhai Patel Biography History Kahani in Hindi – सरदार बल्लभ भाई पटेल भारत के प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक थे. देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उप-प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे. सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना. विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो . आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केन्द्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क ( Bharat Ka Bismark) और लौह पुरूष या भारत का लौह पुरूष ( Iron Man of India ) भी कहा जाता हैं.
सन् 1918 ई. में, बारदौली में जो सत्याग्रह किसानों की तरफ से चला, उसका सफ़ल नेतृत्व सरदार बल्लभभाई पटेल ( Sardar Vallabhbhai Patel ) ने किया. इसके कारण उनको “सरदार ( Sardar )” की उपाधि से महात्मा गांधी ने विभूषित किया.
सरदार बल्लभभाई पटेल की जीवनी | Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi
सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, सन् 1875 ई. को गुजरात के “करमसद” गाँव में हुआ. ये अपनी माता-पिता के चौथी सन्तान थे. सोमभाई, नरसीभाई, और विट्टलभाई इनके अग्रज थे. बल्लभ भाई पटेल ने को शुरूआती शिक्षा कारमसद में ही प्राप्त हुई. इनके परिवार ने इनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया.
सन् 1893 ई. में, सोलह साल की आयु में बल्लभभाई पटेल का विवाह झावेरबा के साथ कर दिय. उन्होंने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1900 में ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली. जुलाई, 1910 में वल्लभ भाई पटेल इंगलैंड जाकर लॉ की पढ़ाई पूरी की.
सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रेरक कहानी | Sardar Vallabh Bhai Patel Inspirational Story in Hindi
सरदार पटेल अपने कार्य को पूरी ईमानदारी, समर्पण और हिम्मत के साथ करते थे, ऐसे ही नही उन्हें “भारत का लौहपुरूष या आयरन मैन ऑफ़ इंडिया” कहा जाता हैं. यह घटना 1909 ई. की हैं, जो इनके चरित्र की महानता को दर्शाता हैं और इससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए.
वे कोर्ट में केस लड़ रहे थे, तभी उन्हें एक पत्र मिला जिसमें उनकी अपनी पत्नी के मृत्यु ( 11 जनवरी, सन् 1909 ) का समाचार था. उन्होंने उस पत्र को इस प्रकार से पढ़कर अपनी जेब में रख लिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हैं. उन्होंने अपनी बहस शुरू कर दी और दो घंटे बाद उस केस को जीत लिया.
बहस के समाप्त होने के पश्चात जब न्यायधीश और अन्य लोगो को यह खबर मिली कि सरदार पटेल की पत्नी का निधन हो गया.
तब उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल से इस बारे में पूछा तो सरदार जी ने कहा कि – “उस समय मैं अपना फ़र्ज निभा रहा था, जिसका शुल्क मेरे मुवक्किल ने न्याय के लिए मुझे दिया था. मैं उसके साथ अन्याय कैसे कर सकता था.” ऐसी सच्ची निष्ठा और शेर दिल वाले व्यक्तित्व इतिहास में विरले ही मिलते हैं.
खेडा संघर्ष | Kheda Sangharsh
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार बल्लभ भाई पटेल का पहला और बड़ा योगदान खेडा संघर्ष में हुआ. गुजरात का खेडा खण्ड (डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था, जिसकी वजह से वहाँ के किसानों ने अंग्रेजी सरकार से कर में छूट की मांग की. जब अंग्रेजी सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया तब सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया. अन्त में अंग्रेजी सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी. यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी.
बारडोली सत्याग्रह | Bardoli Satyagraha
जब गुजराती किसानों की तरफ से कर-मुक्ति आन्दोलन चल रहा था. सन् 1928 ई. में बारदौली में जो सत्याग्रह किसानों की तरफ से चला, उसका नेतृत्व बल्लभ भाई पटेल ने किया था. उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30% तक की वृद्धि कर दी थी. पटेल जी ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया. सरकार ने इस सत्याग्रह को कुचलने के लिए कठोर कदम उठायें, पर अंत में विवश होक्र उन्हें किसानों की मांगों को मानना पड़ा.
इस सत्याग्रह आन्दोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने बल्लभभाई पटेल को “सरदार” की उपाधि प्रदान की. कुछ किताबों में यह भी दिया हुआ हैं कि “सरदार” की उपाधि महात्मा गांधी जी के द्वारा दिया गया हैं.
सरदार वल्लभभाई पटेल से सम्बन्धित जानकारी | Sardar Vallabhbhai Patel Information
सम्मान एवं पुरस्कार
अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार बल्लभभाई पटेल अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा ( Sardar Vallabhbhai Patel International Airport ) रखा गया हैं.
गुजरात के बल्लभ विद्यानगर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय ( Sardar Patel University ) हैं.
सन् 1991 में मरणोपरान्त भारत रत्न ( Bharat Ratna ) से सम्मानित किया गया.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी | Statue of Unity
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर (597 फीट) ऊँचा गुजरात सरकार द्वारा प्रस्तावित भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री सरदार पटेल का स्मारक है. गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया. सरदार बल्लभ भाई पटेल की 140वीं जयंती पर इस मूर्ती का अनावरण किया गया था. यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है. यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरूच के निकट नर्मदा जिले में है.
सन् 1918 ई. में, बारदौली में जो सत्याग्रह किसानों की तरफ से चला, उसका सफ़ल नेतृत्व सरदार बल्लभभाई पटेल ( Sardar Vallabhbhai Patel ) ने किया. इसके कारण उनको “सरदार ( Sardar )” की उपाधि से महात्मा गांधी ने विभूषित किया.
सरदार बल्लभभाई पटेल की जीवनी | Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi
- नाम – सरदार बल्लभ भाई पटेल ( Sardar Vallabh Bhai Patel )
- उपनाम – लौहपुरूष
- जन्म – 31 अक्टूबर, 1875
- जन्म स्थान – नडियाद, गुजरात
- शिक्षा – इंन्स ऑफ़ कोर्ट, लन्दन, इंग्लैंड ( Inns of Court, London, England )
- माता का नाम – लाडबा देवी
- पिता का नाम – झवेरभाई पटेल
- पत्नी का नाम – झावेरबा
- पुत्र – मणिबेन पटेल ( Maniben Patel ), दह्याभाई पटेल ( Dahyabhai Patel )
- राष्ट्रीयता – भारतीय
- राजनीतिक दल – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ( Indian National Congress )
- व्यवसाय – वकालत, राजनीति
- मृत्यु – 15 दिसम्बर 1950 (उम्र 75)
- मृत्यु स्थान – बॉम्बे, भारत
- पुरस्कार व सम्मान – भारतरत्न
सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, सन् 1875 ई. को गुजरात के “करमसद” गाँव में हुआ. ये अपनी माता-पिता के चौथी सन्तान थे. सोमभाई, नरसीभाई, और विट्टलभाई इनके अग्रज थे. बल्लभ भाई पटेल ने को शुरूआती शिक्षा कारमसद में ही प्राप्त हुई. इनके परिवार ने इनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया.
सन् 1893 ई. में, सोलह साल की आयु में बल्लभभाई पटेल का विवाह झावेरबा के साथ कर दिय. उन्होंने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1900 में ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली. जुलाई, 1910 में वल्लभ भाई पटेल इंगलैंड जाकर लॉ की पढ़ाई पूरी की.
सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रेरक कहानी | Sardar Vallabh Bhai Patel Inspirational Story in Hindi
सरदार पटेल अपने कार्य को पूरी ईमानदारी, समर्पण और हिम्मत के साथ करते थे, ऐसे ही नही उन्हें “भारत का लौहपुरूष या आयरन मैन ऑफ़ इंडिया” कहा जाता हैं. यह घटना 1909 ई. की हैं, जो इनके चरित्र की महानता को दर्शाता हैं और इससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए.
वे कोर्ट में केस लड़ रहे थे, तभी उन्हें एक पत्र मिला जिसमें उनकी अपनी पत्नी के मृत्यु ( 11 जनवरी, सन् 1909 ) का समाचार था. उन्होंने उस पत्र को इस प्रकार से पढ़कर अपनी जेब में रख लिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हैं. उन्होंने अपनी बहस शुरू कर दी और दो घंटे बाद उस केस को जीत लिया.
बहस के समाप्त होने के पश्चात जब न्यायधीश और अन्य लोगो को यह खबर मिली कि सरदार पटेल की पत्नी का निधन हो गया.
तब उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल से इस बारे में पूछा तो सरदार जी ने कहा कि – “उस समय मैं अपना फ़र्ज निभा रहा था, जिसका शुल्क मेरे मुवक्किल ने न्याय के लिए मुझे दिया था. मैं उसके साथ अन्याय कैसे कर सकता था.” ऐसी सच्ची निष्ठा और शेर दिल वाले व्यक्तित्व इतिहास में विरले ही मिलते हैं.
खेडा संघर्ष | Kheda Sangharsh
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार बल्लभ भाई पटेल का पहला और बड़ा योगदान खेडा संघर्ष में हुआ. गुजरात का खेडा खण्ड (डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था, जिसकी वजह से वहाँ के किसानों ने अंग्रेजी सरकार से कर में छूट की मांग की. जब अंग्रेजी सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया तब सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया. अन्त में अंग्रेजी सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी. यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी.
बारडोली सत्याग्रह | Bardoli Satyagraha
जब गुजराती किसानों की तरफ से कर-मुक्ति आन्दोलन चल रहा था. सन् 1928 ई. में बारदौली में जो सत्याग्रह किसानों की तरफ से चला, उसका नेतृत्व बल्लभ भाई पटेल ने किया था. उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30% तक की वृद्धि कर दी थी. पटेल जी ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया. सरकार ने इस सत्याग्रह को कुचलने के लिए कठोर कदम उठायें, पर अंत में विवश होक्र उन्हें किसानों की मांगों को मानना पड़ा.
इस सत्याग्रह आन्दोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने बल्लभभाई पटेल को “सरदार” की उपाधि प्रदान की. कुछ किताबों में यह भी दिया हुआ हैं कि “सरदार” की उपाधि महात्मा गांधी जी के द्वारा दिया गया हैं.
सरदार वल्लभभाई पटेल से सम्बन्धित जानकारी | Sardar Vallabhbhai Patel Information
- सन् 1913 ई. में, लन्दन से बॅरिस्टर की पढ़ाई पूरी करके भारत लौटे.
- सन् 1916 ई. में, लखनऊ में भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस के अधिवेशन में सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुजरात का प्रतिनिधित्व किया.
- नवम्बर 1917 में पहली बार गांधी जी से सीधे सम्पर्क में आयें.
- सन् 1918 में ही सरकार द्वारा भयंकर सूखा प्रभावित खेड़ा जिले में वसूले जा रहे लगान के विरुद्ध “No-Tax” आन्दोलन का सफल नेतृत्व कर वसूली को माफ़ करवाया.
- सन् 1919 को रौलेट एक्ट के विरोध के लिये वल्लभभाई पटेल ने अहमदाबाद में बहुत बड़ा मोर्चा निकाला.
- सन् 1920 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन ( Non-cooperation movement ) शुरु किया, इस असहयोग आंदोलन में वल्लभभाई पटेल ने अपने आपको पूरी तरह से देश की सेवा में अर्पण किया, महीने में हजारो रुपये मिलनेवाली वकीली उन्होंने छोड़ दी.
- सन् 1921 में गुजरात प्रांतीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष चुने गये.
- सन् 1928 में बारदौली किसान सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किए.
- सन् 1931 में कराची में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन के अध्यक्ष स्थान पर सरदार वल्लभभाई पटेल थे.
- सन् 1942 में “भारत छोडो आंदोलन ( Quit India Movement )” में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें जेल जाना पडा.
- 1946 को स्थापन हुये मध्यवर्ती अभिनय मंत्रिमंडल में वो गृहमंत्री थे.
- 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुवा, स्वतंत्रता के बाद पहले मंत्रिमंडल मे उप-प्रधानमन्त्री का स्थान उन्हे मिला. इसके साथ-साथ गृह, सूचना और रियासत विभाग के भी मंत्री थे.
- पदभार सम्भालते ही 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराने का श्री सरदार पटेल को ही जाता हैं.
- 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ़ का विलय भारत में कर लिया गया तथा जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया.
- सन् 1948 में हैदराबाद भी केवल 4 दिन की पुलिस कार्रवाई द्वारा मिला लिया गया.
सम्मान एवं पुरस्कार
अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार बल्लभभाई पटेल अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा ( Sardar Vallabhbhai Patel International Airport ) रखा गया हैं.
गुजरात के बल्लभ विद्यानगर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय ( Sardar Patel University ) हैं.
सन् 1991 में मरणोपरान्त भारत रत्न ( Bharat Ratna ) से सम्मानित किया गया.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी | Statue of Unity
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर (597 फीट) ऊँचा गुजरात सरकार द्वारा प्रस्तावित भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री सरदार पटेल का स्मारक है. गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया. सरदार बल्लभ भाई पटेल की 140वीं जयंती पर इस मूर्ती का अनावरण किया गया था. यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है. यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरूच के निकट नर्मदा जिले में है.
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