जब हाईजैकर से लोगों को बचाने प्लेन में खुद घुसे थे वाजपेयी

पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न और बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का गुरुवार को 93 साल की उम्र में निधन हो गया.
गुरुवार शाम पांच बजकर पांच मिनट पर नई दिल्ली के एम्स में पूर्व पीएम वाजपेयी ने अंतिम सांस ली. गुरुवार देर रात नौ बजे से उनका पार्थिव शरीर उनके आवास कृष्णा मेनन मार्ग पर रखा गया, जहां उनके अंतिम दर्शन किए गए
अटल को लोगों के सबसे पसंदीदा पीएम के रूप में जाना जाता है, वे ऐसे पीएम थे जिन्हें विपक्ष का सम्मान भी मिलता था. अटल को ये सम्मान ऐसे ही हासिल नहीं हुआ बल्कि कई मौकों पर उन्होंने खुद को एक मजबूत नेता स्थापित किया था. एयर इंडिया प्लेन के हाईजैक का किस्सा भी उन्हीं में से एक है.
कंधार हाईजैकिंग कांड में आतंकियों के सामने झुकने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की आज भी आलोचना होती है या यूं कहे कंधार हाईजैकिंग आज भी वाजपेयी सरकार की सबसे दुखती रग है लेकिन शायद कम ही लोगों को ये पता हो कि कंधार कांड से करीब एक दशक पहले अटल बिहारी वाजपेयी खुद भी कभी 48 लोगों की जिंदगी बचाने के लिए एक हवाई जहाज में घुसे थे, जिसमें एक हाइजैकर ने प्लेन में कई जिंदगियां घंटों बंधक बना कर रखा था.
सुनने में थोड़ा आश्चर्य लगेगा लेकिन ये घटना ऐसी है जो कभी सुर्खियां नहीं बनी. बात 22 जनवरी 1992 की है, जब एक शख्स ने लखनऊ से दिल्ली की उड़ान भर रही इंडियन एयरलाइन्स की विमान को हाईजैक कर लिया. लखनऊ से करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद विमान के भीतर एक युवक ने कपड़े से लिपटे अपने हाथ में केमिकल बम होने का दावा किया और विमान को वापस लखनऊ ले चलने को कहा. फ्लाइट में सबको सन्नाटा मार गया, पायलट ने विमान हाइजैंकिग की सूचना लखनऊ एटीसी को दी और कुछ देर तक प्लेन को हवा में रखने के बाद इस हाईजैकर की बात को मानते हुए अगले 45 मिनटों में 48 यात्रियों से भरे इस विमान को वापस लखनऊ एयरपोर्ट उतार दिया गया.
एयरपोर्ट पर हाईजैकिंग की खबर से हड़कंप मच चुका था, प्लेन के लैंड करते ही लखनऊ एयरपोर्ट के एक कोने में इस प्लेन को पार्क किया गया जहां से इस हाईजैकर से संपर्क साधा गया. लखनऊ एयरपोर्ट उतरने तक किसी को नहीं मालूम था कि आखिर विमान का अपहर्ता चाहता क्या है, सभी यात्री चुपचाप अपनी सीट पर बैठे रहे
जब एयरक्राफ्ट के नीचे तक आने के बाद भी अपहरणकर्ता ने बात नहीं मानी तो फिर अटल जी ने प्लेन के भीतर जाने का फैसला किया, सबसे पहले डीएम अशोक प्रियदर्शी, फिर लालजी टंडन एयरक्राफ्ट में घुसे, उन दोनों ने वहां फिर उसे समझाकर उतारने की कोशिश की लेकिन उसने किसी को अपने पास फटकने से मना कर दिया. आखिरकार अटल बिहारी वाजपेयी जो उस वक्त विपक्ष के सबसे बड़े नेता थे उन्होंने प्लेन के भीतर जाने का फैसला किया, अटल जी के घुसते ही प्लेन के भीतर बैठे लोगों में भी जोश आ गया. अब सामने वो अपहरणकर्ता था उसके ठीक सामने अटल बिहारी बाजपेयी खड़े थे. इस वक्त तक अटल बिहारी के साथ उसके सुरक्षाकर्मी भी घुस चुके थे. अब लालजी टंडन ने उस अपहरणकर्ता से कहा जिससे तुम मिलना चाहते थे वो वाजपेयी तुम्हारे सामने खड़ा है जो तुम्हारे लिए चलकर एयरक्राफ्ट में आए हैं तुम अपनी मांग रखने के पहले उनका पैर छू लो, ये अपहरणकर्ता जैसे ही वाजपेयी के पांव छूने झुका सुरक्षाकर्मियों नें चारों ओर से उसे जकड़ लिया
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