महालया अर्थात मां का आवाहन पूजन आज यानि 19 सितंबर को होगा। महालया को लेकर श्रद्धालु उत्साहित हैं। मां दुर्गा का आवाहन के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू कैलेंडर की मानें तो महालया की शुरुआत अश्विन महीने की अमावस्या पर होती है। महालया दुर्गा पूजा का पहला दिन माना जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन लोग पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। अकाल मृत्यु से ग्रसित लोगों का श्राद्ध भी आज के दिन ही किया जाता है।
जानिए क्या अर्थ है महालया का
महालया का मूल अर्थ कुल देवी-देवता व पितरों का आवाहन है। 15 दिनों तक पितृ पक्ष तिथि होती है और महालया के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है। अमावस्या के दिन पितर अपने पुत्रादि के द्वार पर पिंडदान एवं श्राद्ध की आशा से जाते हैं। पितरों को पिंडदान और तिलांजलि करनी चाहिए। लोग अमावस्या के दिन पितरों का तरपन व पारवन करते हैं। उनको दिया हुआ जल व पिंड पितरों को प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष में देवता अपना स्थान छोड़ देते हैं। देवताओं के स्थान पर 15 दिन पितरों का वास होता है। महालया के दिन पितर अपने पुत्रादि से पिंडदान व तिलांजलि को प्राप्त कर अपने पुत्र व परिवार को सुख-शांति व समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान अपने घर चले जाते है। महालया से देवता फिर अपने स्थान पर वास करने लगते हैं। पितृ पक्ष में 15 दिन देवताओं की नहीं पितरों की पूजा अर्चना होती है। महालया से देवी-देवताओं की पूजा शुरू हो जाती है।
हिन्दू कैलेंडर की मानें तो महालया की शुरुआत अश्विन महीने की अमावस्या पर होती है। महालया दुर्गा पूजा का पहला दिन माना जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन लोग पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। अकाल मृत्यु से ग्रसित लोगों का श्राद्ध भी आज के दिन ही किया जाता है।
जानिए क्या अर्थ है महालया का
महालया का मूल अर्थ कुल देवी-देवता व पितरों का आवाहन है। 15 दिनों तक पितृ पक्ष तिथि होती है और महालया के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है। अमावस्या के दिन पितर अपने पुत्रादि के द्वार पर पिंडदान एवं श्राद्ध की आशा से जाते हैं। पितरों को पिंडदान और तिलांजलि करनी चाहिए। लोग अमावस्या के दिन पितरों का तरपन व पारवन करते हैं। उनको दिया हुआ जल व पिंड पितरों को प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष में देवता अपना स्थान छोड़ देते हैं। देवताओं के स्थान पर 15 दिन पितरों का वास होता है। महालया के दिन पितर अपने पुत्रादि से पिंडदान व तिलांजलि को प्राप्त कर अपने पुत्र व परिवार को सुख-शांति व समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान अपने घर चले जाते है। महालया से देवता फिर अपने स्थान पर वास करने लगते हैं। पितृ पक्ष में 15 दिन देवताओं की नहीं पितरों की पूजा अर्चना होती है। महालया से देवी-देवताओं की पूजा शुरू हो जाती है।