नमस्कार दोस्तों, Hinditipszone.com पर आपका स्वागत है! दोस्तों,गुलाब जामुन, मिठाई, चॉकलेट और डोनट्स का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। मीठा खाना लगभग हर किसी को पसंद होता है। मगर क्या आप जानते हैं कि ज्यादा मीठा खाने से आपकी याददाश्त कमजोर हो सकती है और आप मस्तिष्क की बीमारियों से प्रभावित हो सकते हैं। हाल में हुई रिसर्च के मुताबिक एक लिमिट से ज्यादा मीठा खाना आपकी याददाश्त को बुरी तरह प्रभावित करता है। यह बात जर्मनी के बर्लिन स्थित 'चैरिटी यूनिवर्सिटी' के अध्ययन में सामने आई है।तो चलिए जानते है विस्तार से:-
मीठी चीजों का असर दिमाग पर क्यों?
दरअसल जब आप ज्यादा मीठा खाते हैं, तो आपके ब्लड (खून) में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। खून में शुगर घुली होने के कारण ये मस्तिष्क के काम में बाधा बनती है और तंत्रिकाओं को कमजोर करती है। अगर आपको रोजाना ज्यादा मीठा खाने की आदत है, तो लंबे समय में आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है, जिसका सबसे पहले असर आपकी याददाश्त पर पड़ता है।
30 मिनट बाद भूल जाते हैं शब्द और नंबर
ब्लड शुगर का स्तर कम होने से मस्तिष्क अच्छी तरह अपना काम कर पाता है जिससे भूलने की समस्या पैदा नहीं होती। शोधकर्ताओं ने करीब 150 लोगों पर अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला है जिनकी उम्र 63 वर्ष के आसपास थी। इनमें से किसी भी प्रतिभागी को डायबिटीज की बीमारी नहीं थी। सबसे पहले शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों में ग्लूकोज के स्तर की जांच की, साथ ही उनके मस्तिष्क की स्कैनिंग कर, 'हिप्पोकैंपस' का आकार भी मापा। 'हिप्पोकैंपस' मस्तिष्क का वो भाग है, जो याद्दाश्त के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके बाद प्रतिभागियों की याद्दाश्त का परीक्षण किया गया। इस दौरान उन्हें कुछ शब्द सुनाए गए और 30 मिनट बाद उन्हें दोहराने को कहा गया। जिन लोगों का ब्लड शुगर कम था, उन्होंने परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन किया। इसके मुकाबले जिनका ग्लूकोज अधिक था उन्हें कम शब्द याद रहे।
ब्लड शुगर घटाने से टल जाता है खतरा
प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर ऐगनेस फ्लोएल के मुताबिक, 'सामान्य ब्लड शुगर वाले भी अगर अपने शुगर का स्तर कम करने की कोशिश करते हैं तो यह उनकी याद्दाश्त के लिए फायदेमंद साबित होता है। ढलती उम्र में उन्हें अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियां नहीं होती हैं।
डायबिटीज न होने पर भी याददाश्त प्रभावित
अल्जाइमर्स सोसायटी के रिसर्च कम्यूनिकेशन मैनेजर डॉक्टर क्लयेर वाल्टन बताते हैं, 'हम जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज से अलजाइमर का खतरा पैदा होता है। लेकिन यह अध्ययन बताता है कि डायबिटीज नहीं होने पर भी बढ़ा हुआ ब्लड शुगर याद्दाश्त संबंधी समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसे नियंत्रण में रखने के लिए संतुलित खानपान और व्यायाम मददगार साबित हो सकता है।
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Sweets Have These Unhealthy Effects on Your Body |
दरअसल जब आप ज्यादा मीठा खाते हैं, तो आपके ब्लड (खून) में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। खून में शुगर घुली होने के कारण ये मस्तिष्क के काम में बाधा बनती है और तंत्रिकाओं को कमजोर करती है। अगर आपको रोजाना ज्यादा मीठा खाने की आदत है, तो लंबे समय में आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है, जिसका सबसे पहले असर आपकी याददाश्त पर पड़ता है।
30 मिनट बाद भूल जाते हैं शब्द और नंबर
ब्लड शुगर का स्तर कम होने से मस्तिष्क अच्छी तरह अपना काम कर पाता है जिससे भूलने की समस्या पैदा नहीं होती। शोधकर्ताओं ने करीब 150 लोगों पर अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला है जिनकी उम्र 63 वर्ष के आसपास थी। इनमें से किसी भी प्रतिभागी को डायबिटीज की बीमारी नहीं थी। सबसे पहले शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों में ग्लूकोज के स्तर की जांच की, साथ ही उनके मस्तिष्क की स्कैनिंग कर, 'हिप्पोकैंपस' का आकार भी मापा। 'हिप्पोकैंपस' मस्तिष्क का वो भाग है, जो याद्दाश्त के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके बाद प्रतिभागियों की याद्दाश्त का परीक्षण किया गया। इस दौरान उन्हें कुछ शब्द सुनाए गए और 30 मिनट बाद उन्हें दोहराने को कहा गया। जिन लोगों का ब्लड शुगर कम था, उन्होंने परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन किया। इसके मुकाबले जिनका ग्लूकोज अधिक था उन्हें कम शब्द याद रहे।
ब्लड शुगर घटाने से टल जाता है खतरा
प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर ऐगनेस फ्लोएल के मुताबिक, 'सामान्य ब्लड शुगर वाले भी अगर अपने शुगर का स्तर कम करने की कोशिश करते हैं तो यह उनकी याद्दाश्त के लिए फायदेमंद साबित होता है। ढलती उम्र में उन्हें अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियां नहीं होती हैं।
डायबिटीज न होने पर भी याददाश्त प्रभावित
अल्जाइमर्स सोसायटी के रिसर्च कम्यूनिकेशन मैनेजर डॉक्टर क्लयेर वाल्टन बताते हैं, 'हम जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज से अलजाइमर का खतरा पैदा होता है। लेकिन यह अध्ययन बताता है कि डायबिटीज नहीं होने पर भी बढ़ा हुआ ब्लड शुगर याद्दाश्त संबंधी समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसे नियंत्रण में रखने के लिए संतुलित खानपान और व्यायाम मददगार साबित हो सकता है।
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