दांतों के टेढ़े-मेढ़े होने के कारण, बोलचाल के कुछ शब्द ऐसे है जिनका उच्चारण दांतों के सहारे होता है, में तो रुकावट आती ही है साथ ही खाने-चबाने में भी परेशानियां आती हैं। साथ ही अगर टेढ़े-मेढ़े दांतों में खाना फंस जाए तो दांत संबंधी अनेक बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए टेढ़े-मेढ़े दांतो से छुटकारा पाना जरूरी है!
तो आईये जानते है दातो के टेढ़े-मेढ़े होने से बचने के उपाय..
टेढ़े-मेढ़े दांतों से बचाव:-
दांतों में फिक्स्ड ब्रेसिज या स्पेशल तार लगाकर इन्हें सीधा किया जाता है। ज्यांदातर तार अस्थाई तौर पर लगाए जाते हैं परन्तु कई बार तार स्थाई तौर पर भी लगाए जाते हैं। इन तारों से दांतों पर दबाव डाला जाता है जिससे कि दांत सही जगह पर व्यवस्थित हो जाएं। आर्थोडोन्टिक्स के इलाज के बाद मरीज को च्वुइंगम, टॉफी और चाकलेट जैसी चीजें नहीं खानी चाहिएं तथा मीठे और ज्यादा ठंडे खाद्य पदार्थों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज वैसे तो किसी भी आयु में किया जाता है लेकिन इसका इलाज जितना जल्दी हो उतना अच्छा होता है क्योंकि कम उम्र में जबड़े मुलायम रहते हैं जिससे परिणाम जल्दी और ज्यादा अच्छे मिलते हैं। टेढ़े-मेढ़ेपन से बचाव की कुछ ओर बातें भी हैं जिन पर ध्यान दिया जाना जरूरी हैं।
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तो आईये जानते है दातो के टेढ़े-मेढ़े होने से बचने के उपाय..
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what Do Bad Shape Theeth In Hindi |
दांतों में फिक्स्ड ब्रेसिज या स्पेशल तार लगाकर इन्हें सीधा किया जाता है। ज्यांदातर तार अस्थाई तौर पर लगाए जाते हैं परन्तु कई बार तार स्थाई तौर पर भी लगाए जाते हैं। इन तारों से दांतों पर दबाव डाला जाता है जिससे कि दांत सही जगह पर व्यवस्थित हो जाएं। आर्थोडोन्टिक्स के इलाज के बाद मरीज को च्वुइंगम, टॉफी और चाकलेट जैसी चीजें नहीं खानी चाहिएं तथा मीठे और ज्यादा ठंडे खाद्य पदार्थों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज वैसे तो किसी भी आयु में किया जाता है लेकिन इसका इलाज जितना जल्दी हो उतना अच्छा होता है क्योंकि कम उम्र में जबड़े मुलायम रहते हैं जिससे परिणाम जल्दी और ज्यादा अच्छे मिलते हैं। टेढ़े-मेढ़ेपन से बचाव की कुछ ओर बातें भी हैं जिन पर ध्यान दिया जाना जरूरी हैं।
- आप अपने बच्चे को हर छःमहीने के बाद डैंटिस्ट के पास लेकर जायें ताकि वह उनकी आदतें जैसे कि अंगूठा चूसना, जींभ से बार बार अपने ऊपरी दांतों को धकेलना, दांतों से होंठ अथवा गाल काटते रहना आदि आदतें जो दांतों को टेढ़ा-मेढा करती हैं,को नोटिस करें और आदतों से मुक्ति दिलाने में मदद करें।
- अगर किसी बच्चे में मुंह से सांस लेने की आदत है तो भी इस आदत को दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि इस आदत की वजह से ऊपर वाले आगे के दांत बाहर की तरफ़ आने लगते हैं।
- अगर देखें कि बच्चे के दूध वाले दांत तो गिरे नहीं हैं, उन के पास ही गलत जगह पर पक्के दांत निकलने लगे हैं। ऐसे में आप बच्चे को डैंटिस्ट के पास ले जाकर दूध के दांत निकलवाएगें नहीं तो पक्के दांत किसी ओर जगह पर अपनी जगह बना लेंगे।
- कुछ लोग ऐसा सोचते है कि जब तक दूध के पूरे दांत गिर नहीं जायें तब तक किसी डैंटिस्ट के पास जाकर टेढ़े-मेढ़े दांतों के बारे में बात करने का कोई फायदा नहीं है। यह बिल्कुल गलत हैं। आप नियमित रूप से हर छःमहीने बाद बच्चों को डैंटिस्ट के पास जा कर दांत चैक करवाते रहें। अगर कुछ प्रॉबल्म होगी तो वह साथ-साथ ठीक होती रहेगी।
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