Vidai Shayari For Teacher | शिक्षक विदाई शायरी


विदाई की है घड़ी
है मुश्किल बड़ी
कामना जीवन की तुम्हारी हो पूरी
यही है शुभकामना हमारी।।
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भोर गमगीन होकर, ख़बर लाई है
दिन भी बैचेन है, धूप घबराई है
आपको हम फेयरवेल, दे दें मगर
दिल सुबकने लगा, आँख भर आई है।
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Vidai Shayari For Teacher 
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विदा होकर आज यहाँ से चले जाओगे
पर आशा है यही की जहाँ भी जाओगे खुशीयाँ ही पाओगे।।
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हमारा मार्गदर्शक बनने,
हमें प्रेरित करने और
हमें वो बनाने के लिए
जो कि हम आज हैं,
हे शिक्षक आपका धन्यवाद।
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जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
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अनगिनत आपके, हम पे अहसान हैं
फिर भी इस बात से, आप अंजान हैं
भाग्य से ऐसे गुरुवर मिले, आजकल
इस जहाँ में कहाँ, ऐसे इंसान हैं।
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अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर आपकी तरह कौन मुझ को चाहेगा||
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विद्वता की प्रखर, आप पहचान हैं
आप टीचर नहीं, एक संस्थान हैं
हम थे कंकण, मणी आपने कर दिया
हम सभी शिष्य के, आप भगवान हैं।
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धूल थे हम सभी, आसमाँ बन गये
चाँद का नूर ले, कहकशाँ बन गये
ऐसे सर को भला, कैसे कर दें विदा
जिनकी शिक्षा से हम, क्या से क्या बन गये।
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गुरु का महत्व कभी होगा ना कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,
वैसे तो है इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान।
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गुरू बिना ज्ञान कहाँ,
उसके ज्ञान का आदि न अंत यहाँ।
गुरू ने दी शिक्षा जहाँ,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहाँ।
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आपसे सद्गुरु, किस्मतों से मिले 
रौशनी भर गई, नूर से खिल उठे
जीत जाएंगें हम, हमको है ये यकीं
आपके मार्गदर्शन में, हम चल पड़े।
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पथ दिखा कर हमें, लो चले छोड़कर
हाँथ मझधार में, लो चले छोड़कर 
है बड़ा बेरहम, ये विदाई का दिन
मेरे गुरुवर हमें, लो चले छोड़कर।
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आप ना होते, तो ताकत ना होती
आप ना होते, तो गंभीरता नहीं होती
आप ना होते, तो हमारे इस स्कूल में
श्रेष्ठ करने की, ऐसी अधीरता नही होती।
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ऐसा नहीं कि हम, सहते नहीं हैं
बस दिल का दर्द, हम कहते नहीं है 
जब से आपकी विदाई की ख़बर सुनी है
बस तबसे हम, थोड़ा खुश रहते नहीं हैं।
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गुमनामी के अंधेरे में था
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया।
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आपसे ही शान, आपसे पहचान देखी है
निष्ठा और समर्पण की, दास्तान देखी है
आपके प्रयासों से, हमने इस कॉलेज की
ज़मीं से आसमाँ तक की उड़ान देखी है।
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हम तो कच्ची मिट्टी थे, चन्दन बना दिया
काँच की सूरत में थे, मणि कंचन बना दिया
ये मेहरबानियाँ कभी, भुला नहीं पायेंगे
आप वो पारस हैं, जिसने हमें कुंदन बना दिया।
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